सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रभाव का एक विश्लेषण : रीवा के विशेष सन्दर्भ में

Authors

  • गोकरण प्रसाद कुशवाहा

Abstract

भारतीय संविधान के अर्न्तगत मौलिक अधिकार दिये गये है जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी है अर्थात् किसी भी व्यक्ति को कोई भी विषय पर अपनी स्वतंत्र राय रखने और उसे अन्य लोगो के साथ साझा करने का अधिकार है। लेकिन कई विचारको का मानना है कि सूचना पारदर्षिता के अभाव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई महत्व नही रह जाता हैं।
सूचना का अधिकार हमारे देश के लोकतंत्र को मजबूत करने और नागरिको के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना का अधिकार को लागू हुए 15 वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है। परन्तु हमारे देश के मध्यप्रदेश के रीवा जिले की आबादी का एक बडा हिस्सा अभी भी इस ऐतिहासिक कानून से अनजान है, इस अधिकार के बारे में शोध क्षेत्र के अधिकतर ऐसे व्यक्ति है जिन्होने इसके बारे में केवल समाचार पत्र, किताबो तथा सोशल मीडिया के माध्यम से जाना है। परन्तु आवश्यकता होते हुए भी इन लोगो ने सूचना प्राप्त करने के लिए कभी कोई आवेदन नही किया है।
जिन्हांने इसके लिए आवेदन करके सूचना प्राप्त करने की कोशिश की है, परन्तु प्राधिकारियो से कोई प्रतिक्रिया न मिलने या असंतोष जनक जवाब मिलने के कारण आवेदन करना बंद कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी है जो इस कानून का उपयोग इस हद तक करते है कि आर0टी0आई0 अधिनियम के दुरूपयोग के रूप मे देखा जात

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Published

15-05-2019

How to Cite

1.
गोकरण प्रसाद कुशवाहा. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रभाव का एक विश्लेषण : रीवा के विशेष सन्दर्भ में. IJARMS [Internet]. 2019 May 15 [cited 2025 Jul. 4];2(2):26-30. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/118

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