बांदा जिला (उ.प्र.) के चक्रीय विपणन केन्द्रों का बाजार प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन
Abstract
प्रस्तुत शोध पत्र में बांदा जिला के चक्रीय विपणन केन्द्रों के बाजार प्रभाव प्रदेशों का निर्धारण किया गया है। बाजार प्रभाव प्रदेश विपणन केन्द्र के शरीर की तरह है तथा विपणन केन्द्र उसकी आत्मा है। दैनिक विपणन केन्द्रों का प्रभाव क्षेत्र स्पष्ट तथा सुनिश्चित होता है। चक्रीय विपणन केन्द्रों के प्रभाव क्षेत्र दैनिक विपणन केन्द्रों के प्रभाव क्षेत्रों की भांति सुस्पष्ट तो नहीं होते किन्तु वे स्थायी अवष्य होते हैं। किसी क्षेत्र विशेष के आर्थिक विकास का स्तर बाजार प्रभाव-क्षेत्रों में परिलक्षित होता है। विकासशील अर्थव्यवस्था की जीवन निर्वाही अर्थ तंत्र में आवश्यकताएं सीमित तथा क्रयशक्ति न्यून होती है। संसाधनों की विविधता में कमी भी वस्तुओं की मांग पर अंकुश लगा देती है। वस्तु विविधता की कमी बाजार प्रदेशों को संकुचित कर बाजार की संख्या तथा उनकी चक्रीयता को बढ़ावा देती है।
मुख्य शब्दः चक्रीय विपणन केन्द्र, बाजार प्रभाव, उपभोक्ता व्यवहार, बाजार प्रभाव प्रदेश।
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