सागर उच्चभूमि क्षेत्र में व्यावसायिक संरचना प्रतिरूप का अध्ययन

Authors

  • डॉ. दीपचंद अहिरवार

Abstract

व्यावसायिक संरचना किसी भी क्षेत्र की आर्थिक सम्पन्न्ता अथवा विपन्नता का सही व समुचित प्रतिनिधित्व करती है। इसमें जनसंख्या की जितनी अधिक भागीदारी होगी उस क्षेत्र का आर्थिक विकास उतना ही अधिक समुन्न्त होगा। व्यावसायिक संरचना प्रभावित होने पर उत्पादन व विकास दोनो घटने लगता है। व्यावसायिक संरचना को उत्तम एवं सुदृढ़ बनाने हेतु अध्ययन क्षेत्र के प्रमुख तत्व जैसे- कृषि प्रधान, उद्योग प्रधान, अर्द्ध उद्योग प्रधान व अन्य कार्योत्पादन में जनसंख्या के आय संरचना, क्रय शक्ति, सामाजिक- आर्थिक स्तर, आर्थिक संतुलन निर्धारण, आर्थिक समस्याओं के निर्धारण व रूपान्तरण हेतु आर्थिक योजना के निर्माण में योगदान आधार स्तम्भ सिद्ध होता है (मौर्य, 2020)। व्यावसायिक संरचना जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण आर्थिक गुण हैं, जो किसी प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा जनांकिकी विशेषताओं को प्रभावित व नियंत्रित करती है तथा व्यक्तियों के सर्वांगीण विकास हेतु योजनाओं के निर्माण का आधार प्रस्तुत करती है। इस प्रकार किसी भी क्षेत्र के आर्थिक स्तर का मूल्यांकन हेतु व्यवसायिक संरचना का विश्लेषण करना आवश्यक है। अतः अध्ययन क्षेत्र के समुचित आर्थिक विकास हेतु विभिन्न विकास के मध्य जनसंख्या के वितरण में संतुलन स्थापित होना चाहिए।
अध्ययन क्षेत्र का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 7545 वर्ग कि.मी. है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 1676241 है। अध्ययन क्षेत्र में 2011 में कुल कार्यशील जनसंख्या 42.77 प्रतिशत, काश्तकार 22.61 प्रतिशत, खेतिहर मजदूर 28.87 प्रतिशत, परिवारिक उद्योग में 14.62 प्रतिशत, अन्य कर्मी 33.90 प्रतिशत एवं सीमान्त कार्यशील 23.34 प्रतिशत है।

Keywords अकार्यशील, कार्यशील, जनसंख्या, मुख्य कार्यशील, सीमांत कार्यशील, कृषि, व्यवसाय।

 

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Published

10-09-2021

How to Cite

1.
डॉ. दीपचंद अहिरवार. सागर उच्चभूमि क्षेत्र में व्यावसायिक संरचना प्रतिरूप का अध्ययन. IJARMS [Internet]. 2021 Sep. 10 [cited 2025 Jul. 4];4(2):75-87. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/136

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