अज्ञेय की रचना प्रक्रिया : एक अनुशीलन

Authors

  • डॉ0 अवधेश कुमार शुक्ला

Abstract

किसी भी साहित्यकार की रचना उसकी अनुभूति का ऐसा रूप है, जो उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर सृष्टि कराती है। विविध आयामी साहित्यकर सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्वायन ’अज्ञेय’ की रचना प्रक्रिया प्रतिभा की अपेक्षा यान्त्रिकता को अधिक महत्व देती है। आनन्द प्रकाश दीक्षित के अनुसार ’कला के भावत्मक और रचना पक्ष को सर्जक और ग्रहीता के पारस्परिक संवाद की समस्या के रूप ग्रहण करके चले है। इसीलिए उनके सामने रचनाकार का व्यक्तिव उसकी अन्तरचेतना और समाज के साथ उसके सम्बन्ध का द्वन्द्व निरन्तर बना रहा है। बल्कि उनका सारा प्रवत्न इन्हीं दो द्वन्द्व की समस्या सुलझाने का रहा है। वही उनकी सारी विवेचना को भी। किन्तु रचना प्रक्रिया के सन्दर्भ में रचियता के आन्तरिक तनाव निरन्तर घटित होने वाले संस्कार परिष्कार और भावों एवं अनुभवों आदि के आन्तरिक संगठन को उन्होंने जिस रूप में ग्रहण किया, उसमें उनकें नये प्रस्थान की सूचना भी मिली।’
मुख्य शब्दावली- अज्ञेय की रचना प्रक्रिया, द्वन्द्व, संस्कार परिष्कार और भाव एवं अनुभव।

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Published

01-06-2018

How to Cite

1.
डॉ0 अवधेश कुमार शुक्ला. अज्ञेय की रचना प्रक्रिया : एक अनुशीलन. IJARMS [Internet]. 2018 Jun. 1 [cited 2025 Mar. 12];1(1):127-30. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/147

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Articles