नगरीय वृद्धजनों में स्वास्थ्य की स्थितिः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन (उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के विशेष सन्दर्भ में)
Abstract
भारतीय समाज मूल रूप से ग्रामीण समाज है और इस समाज की मूल इकाई परिवार है। ग्रामीण भारतीय समाज में परिवार का संयुक्त स्वरूप पाया जाता है, जिसमें कई पीढियों के लोग एक मकान में रहते हैं, संयुक्त रसोई का उपयोग करते हैं तथा सामूहिक सम्पत्ति को अपनी आजीविका के रूप में उपभोग करते हैं। भारत में सदियों से परिवार के इसी स्वरूप पर परिवार के सदस्यों के भरण पोषण का उत्तरदायित्व रहा है, जिसमें परिवार का मुखिया महिलाओं, बच्चों एवं वृद्धजनों की देखभाल एवं सरक्षण का कार्य करता चला आ रहा है। लेकिन औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के कारण भारतीय समाज में संयुक्त परिवार की परंपरा टूटने लगी और एकाकी परिवार तेजी से उभरने लगे। उक्त एकाकी परिवारों में पति, पत्नी एवं अविवाहित बच्चों के अतिरिक्त परिवार के किसी अन्य सदस्य का स्थान नहीं होता है। इस प्रकार भारत में जहां एक तरफ नगरीय आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है वही एकाकी परिवार भी तेजी से उभर रहे है।
मुख्य शब्दावलीः- नगरीय वृद्धजन, संयुक्त परिवार, एकाकी परिवार, औद्योगीकरण, नगरीकरण
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