पर्यावरण का मानव समाज पर प्रभाव

Authors

  • डॉ0 आर0 के0 त्रिपाठी

Abstract

पर्यावरण हमारे चारो ओर पाया जाने वाला सामाजिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक वातावरण है। सामाजिक वातावरण से तात्पर्य मानव के बीच परस्पर सम्बन्धों से है। सांस्कृतिक वातावरण में नैतिकता, पृथायें, भाषा, धर्म एवं परम्परायें इत्यादि आते हैं। प्राकृतिक वातावरण में जल, हवा, धरती, वृक्ष एवं वनस्पति आदि आते हैं। प्रकृति के इन अवयवों में स्वतः एक सन्तुलन होता है परन्तु इस जिज्ञासु एवं विकासोन्मुख मानव ने वैज्ञानिक एवं प्रौद्यागिकियों के कारण इस सन्तुलन को बिगाड़ कर पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है। ओजोन परत में छ्रिद्र हो गया है जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ध्रुवों की बर्फ पिघल रही है, जिससे महासागरों में बाढ़ आने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रकार हमारे पर्यावरण में न केवल जल एवं थल ही प्रदूषित हो रहे हैं बल्कि अंतरिक्ष भी इससे अछूता नहीं रहा है। परिणामतः आज न केवल हमारा राष्ट्र ही इस समस्या का सामना कर रहा है अपितु सम्पूर्ण विश्व में यह समस्या उत्पन्न हो गयी है वैसे तो पर्यावरण की इस समस्या से निजात पाने के लिए सम्पूर्ण विश्व प्रयासरत है। विभिन्न सम्मेलनों, आयोगों अधिनियम का गठन किया गया है। परन्तु आवश्यकता है विश्व या देश के प्रत्येक व्यक्ति में चाहे वह बच्चा हो या वृद्ध उसको अपने वातावरण के प्रति सजगता, जागरुकता, चेतना और पर्यावरण मित्रता विकसित करने की, तभी इस गम्भीर समस्या का समाधान आसानीपूर्वक किया जा सकता है।
मुख्य शब्दः- पर्यावरण, मानव समाज, विकासोन्मुख मानव, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी।

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Published

31-01-2021

How to Cite

1.
डॉ0 आर0 के0 त्रिपाठी. पर्यावरण का मानव समाज पर प्रभाव. IJARMS [Internet]. 2021 Jan. 31 [cited 2025 Apr. 29];4(1):175-80. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/338

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