विमुद्रीकरण की सार्थकता
Abstract
भारत सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक और कठोर कदम 8 नवंबर 2016 को उठाते हुए 500 और 1000 के नोटों को विमुद्रीकरण कर दिया गया। अब कुछ विनिर्दिष्ट प्रयोजनों को छोड़कर 500 और 1000 के नोट वैध मुद्रा नहीं रहे। यह कदम ऐतिहासिक इसलिए है कि इससे पहले प्रथम बार स्वतंत्रता के पूर्व 1946 और दूसरी बार स्वतंत्रता के उपरांत 1978 में विमुद्रीकरण की नीति अपनाई गई। परंतु पूरे विश्व के इतिहास में अब तक जब भी यह नीति अपनाई गई, इस नीति का उपयोग अति मुद्रास्फीति, राजनीतिक अस्थिरता, व युद्ध की स्थिति से निपटने हेतु ही किया गया और उसमें यह नीति काफी सफल भी रही है।
मुख्य शब्द- भारत की अर्थव्यस्था, भारत में विमुद्रीकरण नीति का अवलोकन एवं विमुद्रीकरण की सार्थकता।
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