बौद्ध धर्म और शिक्षण व्यवस्था
Abstract
मानव के बौद्धिक व आध्यात्मिक उत्थान के लिए शिक्षा परमावश्यक है। इसी कारण प्राचीन काल से ही शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए वैदिक शिक्षा के अन्तर्गत गुरूकुलों की व्यवस्था की गयी। जब बौद्ध धर्म का आविर्भाव हुआ तो बौद्ध धर्म के अन्तर्गत बौद्ध विहारों व संघारामों का जन्म हुआ। इन्हीं विहारों में से कुछ विहार विकसित होकर विश्वविद्यालय के रूप में हमारे समक्ष आये जैसे- नालंदा, वलभी विश्वविद्यालय आदि। प्रस्तुत पत्र में बुद्ध के पूर्व व बुद्ध के पश्चात् लगभग 12वीं-13वीं शताब्दी तक भारत में शिक्षा की व्यवस्था व स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है। गुरूकुल शिक्षा पद्धति से विहारों की शिक्षा पद्धति में आये परिवर्तनों की समीक्षा की गयी है। बौद्ध विहारों और विश्वविद्यालयों की प्रशासनिक व्यवस्था, शिक्षण व्यवस्था, नियम व प्राचीन काल के प्रमुख विश्वविद्यालयों व शिक्षा केन्द्रों का वर्णन प्रस्तुत पत्र में किया गया है।
keywords- संघाराम, चीवर, प्रवज्या, उपसम्पदा, वैयाकरण, विनयधर, सुत्तंतिक एवं अनुदान।
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