भारत में शारीरिक घरेलू हिंसा में लैंगिक असमानता की भूमिका
Abstract
लैंगिक भेदभाव कुछ और नहीं मानवीय सोच और व्यवहार का परिणाम है। लैंगिक हिंसा भारत क्या पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण समस्या बनी हुई है। लैंगिक असमानता में पीड़ित वर्ग में अधिकतर महिलाएं शामिल हैं। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित मानवाधिकार उल्लंघनों में एक है। महिलाएं जो हिंसा का शिकार हुई है, वह इज्जत, मर्यादा, पारिवारिक प्रतिष्ठा के कारण आगे बढ़कर इसका विरोध नहीं कर पाती। यह महिलाओं के विकास और समाज में समान भागीदारी में भी प्रमुख बाधा बना हुआ है। शारीरिक घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा का ही एक रूप है। यह शोध पत्र भारत में शारीरिक घरेलू हिंसा में लैंगिक असमानता की बहुमुखी भूमिका पर प्रकाश डालता है तथा इसके प्रमुख कारकों को बताने का प्रयास करता है और किस तरह शक्ति असंतुलन, सामाजिक अपेक्षाएं महिलाओं के खिलाफ हिंसा में योगदान करती हैं, इसकी भी व्याख्या करता है। एक विकसित समाज और भारत के निर्माण के लिए महिला व पुरुष दोनों की समान भागीदारी अति आवश्यक है। किसी भी तरह की असमानता का व्यवहार व भेदभाव विकास में बाधा उत्पन्न करता है। इसके कारकों का मूल्यांकन करके और सही समाधान खोजकर इसे कार्यान्वित करना, एक स्वस्थ समाज का निर्माण करेगा।
मुख्य शब्दः- लैंगिक असमानता, शारीरिक घरेलू हिंसा, महिला, शक्ति असंतुलन, लैंगिक हिंसा, पितृसत्तात्मक समाज ।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2023 ijarms

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
*WWW.IJARMS.ORG