डिजिटल इंडिया और भारतीय कार्य संस्कृति
Abstract
किसी समाज के सदस्यों में भावात्मक प्रेरणाओं बौद्धिक क्षमताओं और नैतिक परिप्रेक्ष्यों के रूप में समान मानव प्रकृति होती है। यह समान मानव प्रकृति किन्ही मूल्यों विश्वासों और भावात्मक अभिकृतियों के रूप में अपने आपकों अभिव्यक्ति करती है। जो कामोबेश संशोधनों के साथ एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक सम्प्रेषित की जाती है और इस प्रकार किसी समाज की समान संस्कृति की रचना होती है इसी प्रकार किसी समाज की सामान्य संस्कृति के कई पहलुओं का सम्बन्ध इस बात से होता है कि सरकार किस प्रकार चलाई जानी चाहिये और इसे क्या करने की कोशिश करनी चाहिए। संस्कृति के इस क्षेत्र को हम राजनीतिक संस्कृति कहते है।
शब्द संक्षेप- डिजिटल इंडिया, संस्कृति, राजनीतिक संस्कृति और भारतीय कार्य संस्कृति।
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