न्यायिक जवाबदेही और भारतीय लोकतन्त्रः एक कसौटी

Authors

  • सोना धनगर, प्रो0 (डॉ0) सुभाष चन्द्र गुप्ता, डॉ0 राम प्रकाश

Abstract

एक समय था जब यह सोचा जाता था कि न्यायपालिका से संबंधित मुख्य मुद्दे जैसे- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, उसका कार्यपालिका से पृथक होना, नियुक्ति प्रक्रिया और निश्चित रूप से प्रदर्शन और अखंडता के प्रश्न थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये मामले वर्तमान में भी जारी हैं, किन्तु न्यायपालिका में हाल ही में हुए परिवर्तन को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
लोकतन्त्र, जैसा कि हमारे संविधान की उद्देशिका घोषित करती है, कि अंततः राजनीतिक संप्रभुता देश के लोगों में निहित है। यह सम्प्रभुता सामाजिक वास्तविकता और गतिशील व्यवहार्यता तभी प्राप्त करती है जब संवैधानिक साधन सम्प्रभु लोगों की व्यापक निगरानी के प्रति मौन रूप से समर्पित हो जाता है। बडे़ पैमाने पर लोग स्पष्ट रूप से निगरानी, नियंत्रण या अनुशासनात्मक कार्य नहीं कर सकते हैं। इसलिए, हमें जांच और संतुलन की आवश्यकता है ताकि कहीं भी निहित शक्ति खराब न हो और संवैधानिक बुनियादी सिद्धान्तों के प्रति उत्तरदायी हों और उन लोगों के प्रति जवाबदेह हो जो शक्ति के अंतिम स्वामी या दाता हैं। सत्ता और जनता के बीच के इस गठजोड़ की एक निश्चित द्वंद्वावत्मकता है। समय के साथ, प्राधिकार की सत्तावादी, भ्रष्ठ या पक्षपातपूर्ण बनने की प्रवृत्ति के बीच एक विरोधाभास होना तय है, और इस प्रवृत्ति को लोकप्रिय निरक्षरता और जनता और यहां तक कि सत्ता के शीर्षों से अभिभूत उन वर्गों की नम्र विनम्रता के सिंड्रोम द्वारा बढ़ाया जा सकता है। विरोधाभास का दूसरा पक्ष प्रशासनिक आतंकवाद से प्रेरित असंतोष विरोध, हिंसा और एन्ट्रापी के अन्य रूपों का अपरिहार्य विस्फोट, बेरोकटोक मोहभंग और न्याय के रूप में छिपा हुआ अन्याय है। यदि व्यवस्था की प्रक्रिया को कानून और न्याय प्रदान करने वाली संरचनाओं द्वारा कार्यात्मक रूप से सुनिश्चित नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से अराजकता व्याप्त हो जाएगी। यदि इस टकराव को अदालत और न्यायाधीश के प्रति विस्फोटक प्रतिरोध में नहीं बदलना है, तो लाभार्थियों, यानी भारतीय लोगों के लिए न्यायिक शक्ति का एक नया तालमेल, संचार और जावाबदेही तैयार की जानी चाहिए।
मुख्य शब्दावली- भारतीय न्यायिक प्रणाली, स्वतन्त्र न्यायपालिका, न्यायपालिका की जवाबदेह और भारतीय लोकतन्त्र।

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Published

31-07-2023

How to Cite

1.
सोना धनगर, प्रो0 (डॉ0) सुभाष चन्द्र गुप्ता, डॉ0 राम प्रकाश. न्यायिक जवाबदेही और भारतीय लोकतन्त्रः एक कसौटी. IJARMS [Internet]. 2023 Jul. 31 [cited 2024 Nov. 21];6(02):68-79. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/538

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