कबीरदास का जीवन दर्शन

Authors

  • श्री लाड़लेमशाक पी0 नदाफ

Abstract

कबीर अपने समय के क्रांतिकारी युगद्रष्टा थे। वे प्रधानतः एक भक्त थे, लेकिन भक्ति के अधिकार को वे सामान्य जन तक ले गए। उन्होंने ब्रह्म के निर्गुण स्वरूप को अपनाते हुए उसकी साधना में बाह्याचार और कर्मकांड की सर्वथा उपेक्षा की। वे जिस साधना पद्धति को विकसित कर रहे थे वह आम लोगों के जीवन और पहुँच के अनुकूल थी। कबीर अपने समय के क्रांतिकारी युगद्रष्टा थे। यद्यपि इन्होनें कोई दार्शनिक मत प्रस्तुत नहीं किया। तथापि ईश्वरीय शक्ति में प्रेम की भाव-व्यंजना करते हुए उन्होंने ब्रह्म, जीवन जगत तथा माया आदि के बारे में जो विचार व्यक्त किये इन्हीं के आधार पर उनके दार्शनिक विचारों का मूल्यांकन किया जा सकता है। वे प्रधानतः एक भक्त थे, लेकिन भक्ति के अधिकार को वे सामान्य जन तक ले गए। उन्होंने ब्रह्म के निर्गुण स्वरूप को अपनाते हुए उसकी साधना में बाह्याचार और कर्मकांड की सर्वथा उपेक्षा की।
बीज शब्द - कबीरदास, ब्रह्म, निर्गुण स्वरूप, जीवन दर्शन, साधना में बाह्याचार।

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Published

01-02-2024

How to Cite

1.
श्री लाड़लेमशाक पी0 नदाफ. कबीरदास का जीवन दर्शन. IJARMS [Internet]. 2024 Feb. 1 [cited 2024 Dec. 21];7:48-54. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/566