वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में कबीर के विचारों की प्रासंगिकता

Authors

  • दीपक कुमार धर्मवंशी

Abstract

महान ऋषियों एवं संतों की भारत की भूमि पर 15वीं शताब्दी में कबीर नाम के एक महान संत का अवतरण हुआ जिन्होनें अपनी साधारण बोलचाल की भाषा में ही समाज को ऐसी राह दिखाई जिस पर चल कर आज भी सुखी व समृ़़ö समाज की संकलपना की जा सकती है। कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक सुधारों के लिए तत्कालीन समाज में व्यापत बुराईयों का जमकोर विरोध किया और समाज को अध्ंाविश्वासों से दूर रह कर नैतिकता की सही राह दिखाई जिस पर चल कर मानव अपनी मानवीय जीवन के मूल्य उद्देश्यों की प्राप्ति कर अपने जीवन को सार्थक कर सके।
मूल शब्द - कबीर, रूढ़ियॉं, परम्पराऐं, अंधविश्वास, शिक्षा, चिंतन, मानव, समाज

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Published

01-02-2024

How to Cite

1.
दीपक कुमार धर्मवंशी. वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में कबीर के विचारों की प्रासंगिकता. IJARMS [Internet]. 2024 Feb. 1 [cited 2024 Dec. 21];7:59-61. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/569