नासिरा शर्मा का कथासाहित्य मूल बोध में योगदान
Abstract
नासिरा शर्मा देश के सुप्रसिद्ध साहित्य-जगत् की लेखिका हैं। वे हिंदी, उर्दू, फारसी, पश्तों, अँग्रेजी आदि भाषाओं में उनकी अच्छी पकड़ हैं तथा मूर्धन्य कथाकार उपन्यासकार मानी जाती हैं। उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, लेख संग्रह, अनुवाद, रिपोर्ताज नाटक तथा कुछ कहानियों पर टेलीफिल्मस और धारावाहिक लिखी है। नासिरा जी समाज में उपस्थित औरतों के प्रति दयनीय अवस्था को अनुभव किया था और अपने अनुभवांे को उन्होने साहित्य के माध्यम से निर्भीकता से समाज में उपस्थित रूढ़िवादियों तथा कुप्रथाओं को और औरतों तथा परिवारों में बंँटवारे को लेकर किए जा रहें अन्याय के विरूद्ध सर्वप्रथम आवाज उठाई। उनकी भाषा में ग्रामीण शहरी जीवन की सरलता झलकती है। नासिरा जी की चिंतन-परंपरा का आधार उनके वालिद द्वारा बताये रास्ते में चलकर एक नया मुकाम हासिल किया।
नासिरा जी का उपन्यास भारतीयता का नया बहुसार्थक पाठ रचती है। आज वे उत्तर आधुनिक समय में जबकि भूमंडलीकारण बाजारवाद की तमाम शक्तियाँ हमारी जातीय स्मृति, जातीय अस्मिता हमारे जातीय संवेदना को मिटा देने पर आमदा दिखाई देती है। ऐसे कठिन समय में हमारे देश में नासिरा जी के उपन्यास अर्थवत्ता और बढ़ती जाती है। इनके उपन्यासों में ग्रामीण भाषा का सर्वाधिक प्रयोग हुआ है। नासिरा जी ने पात्रनुकूल भाषा का प्रयोग कर कीर्तिमान स्थापित किया है। नासिरा जी की भाषा जनमानस की भाषा हैं। इनके उपन्यासों में हिंदी उर्दू, अँंग्रेजी, फारसी शब्दों का प्रयोग जो जनमानस में प्रचालित हैं का प्रयोग देखने को मिलता हैं।
मूल शब्दः- कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, लेख संग्रह, अनुवाद, हिंदी, उर्दू, फारसी, पश्तों, अँग्रेजी
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