छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहार में पर्यावरण के सीख
Abstract
भारत गांवों का देश है। यहॉ की संस्कृति गांव के जन मानस में गहराई से व्याप्त है। मिट्टी की सोंधी महक गांव के संस्कृति में विराजमान है और संस्कृति को प्रवाहमान बनाने में लोक पर्व और त्यौहार की बड़ा महत्व है। ये जीवन के साथ-साथ संस्कृति को जीवन्त और अजर-अमर बनाने में इसकी महती भूमिका है। त्यौहार के आयोजन का उद्देश्य के पीछे की जो भावना है वो हमारी संस्कृति की परम्परा को लगातार पोषित व भावी पीढ़ी के हस्तांतरण में भूमिका का निर्वाह करती है। त्यौहार की दृष्टि से छत्तीसगढ़ में वर्ष के बारह माह में कोई न कोई त्यौहार व पर्व का आयोजन होते रहता है, जो यहॉं की संस्कृति को जीवंत, पर्यावरण की सम्मान और सांस्कृतिक भावना को उल्लासित करती है।
बीज शब्द- छत्तीसगढ़ राज्य, तीज-त्यौहार, पर्यावरण, सीखना।
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