21वीं सदी के भारत में उच्च शिक्षा एवं सूचना प्रौद्योगिकी के विविध आयाम
Abstract
भारत जैसे देश जहाँ अभी भी अधिकाँश लोग कम्प्यूटर को अजूबा समझते है खासतौर से दूरदराज के क्षेत्रों व ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार होने में समय लगेगा और उसे उच्च शिक्षा देने के काबिल बनाने में तो कुछ ज्यादा ही समय लगेगा। उच्च शिक्षा को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रहण करनें में अत्याधिक दक्षता की जरूरत पडे़गी जो आज की तिथि में शायद पूरी तरह शहरी भारत के पास भी नहीं है। ऐसे में गरीब छात्र व ऐसे छात्र जिनका सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ खास लेना देना नहीं है दौड़ में बाहर हो जायेंगे।
दूसरे शब्दों में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित उच्च शिक्षा के विकास में शैक्षिक असमानता का खतरा मुंह बनायें खड़ा है। उच्च शिक्षा प्राप्त ज्ञान कर्मी समाज के उच्च आय प्राप्त करने वाले एक अभिजात्य श्रेणी (एलिट क्लास) के रूप में उभरेंगे तथा अन्य सामान्य छात्र दौड में पिछड़ कर ’सामान्य’ बनकर रह जायेंगें। इसमें कोई शक नही कि आने वाले वक्त में सूचनाएें एवं ज्ञान ही आर्थिक शक्ति का मुख्य स्त्रोत बन उभरेंगे और जो इनके इस्तेमाल में माहिर होंगे वह समाज में अग्रणी स्थान बनायेंगे। अल्प संसाधनों वालों छात्रों के लिए ही पराम्परागत विषय रह जायेगे और धीरे-धीरे यह विषय भी आर्थिक और शैक्षिक परिदृश्य से ओझल होते जायेंगे।
यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिन छात्रों के पास संसाधन है वह एम.बी.ए., एम.सी.ए., एम.बी.बी.एस., इंजीनियरिगं व मैनेजमेन्ट कोर्स में जो मुख्यतः आवश्यकता आधारित कोर्स है कर रहे है तथा बी.ए., बी.एस.सी. व बी.काम. जैसे परम्परागत कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र उच्च आय प्राप्त करनें वाले व्यवसायों से लगातार दूर होते ही जा रहे है।
Keywords- 21वीं सदी का भारत, उच्च शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, विविध आयाम।
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