केशवदास के काव्य रसिकप्रिया में उदात्त तत्व

Authors

  • डा0 सीमा मलिक

Abstract

हिंदी साहित्य के भक्ति युग के प्रमुख रीतिकालीन कवि केशवदास ने अपने काव्य में न केवल सौंदर्यबोध और श्रृंगार की परंपरा को उन्नत किया, बल्कि उनके काव्य में उदात्तता की गहन उपस्थिति भी दिखाई देती है। उदात्त तत्व, जो कि आत्मिक उच्चता, नैतिक उत्कृष्टता और भावनात्मक समृद्धि का परिचायक होता है, उनके काव्य में विविध रूपों में परिलक्षित होता है, चाहे वह नायिका के चरित्र की गरिमा हो या नायक की वीरता, अथवा भक्ति और प्रेम की गूढ़ गहराई। प्रस्तुत शोध पत्र में केशवदास के प्रमुख ग्रंथों रसिकप्रिया के आलोक में उनके काव्य के उदात्त पक्ष का विश्लेषण किया गया है। साथ ही, यह शोध उदात्तता की भारतीय काव्यशास्त्रीय अवधारणाओं के संदर्भ में उनकी साहित्यिक उपलब्धियों का सम्यक् मूल्यांकन प्रस्तुत करता है।
कीवर्ड- केशवदास, रसिकप्रिया, उदात्त तत्व, हिंदी काव्यशास्त्र, श्रृंगार रस, भक्तिकाल, नायिका भेद, भारतीय काव्य परंपरा, भाव सौंदर्य, नैतिक चेतना

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Published

31-01-2018

How to Cite

1.
डा0 सीमा मलिक. केशवदास के काव्य रसिकप्रिया में उदात्त तत्व. IJARMS [Internet]. 2018 Jan. 31 [cited 2025 Aug. 10];1(1):249-5. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/752

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Articles