रवीन्द्र नाथ टैगोर के दर्शन में सार्वभौमवाद (Cosmopolitism)

Authors

  • 1 डा0 जितेन्द्र यादव

Abstract

रवीन्द्र नाथ टैगोर का दर्शन उपनिषदीय दर्शन से प्रभावित है और उस भारतीय आधुनिक परम्परा का वाहक है जिसे राजाराम मोहन राय ने प्रारंभ किया था। टैगोर के दर्शन में एक सार्वभौम दृष्टि है। ‘मानव‘ का विश्लेषण वे (ससीम मानव तथा असीम मानव में करते हैं। ‘ससीम मानव‘ परिस्थितियों (भौगेलिक जैविक, सामाजिक -धार्मिक, राजनैतिक) से बंधा है। असीम मानव सभी परिस्थितियों (जैविक, सामाजिक -धार्मिक , राजनैतिक) से ऊपर उठता है , मानव का यह रूप सार्वभौमिक रूप है।
‘धर्म‘ का विश्लेषण करते हुये टैगोर धर्म को प्रचलित धर्म से अलग करते हैं और इसे मानव की आंतरिकता की अभिव्यक्ति कहते है। जो उसका संघटक घर्म है जो मानव मात्र का एक ही है और यह मानव धर्म है। इस शोध पत्र में विवरणात्मक विश्लेषण पद्धति का प्रयोग किया गया है।

Keywords- सार्वभौमवाद, ससीम मानव असीम मानव, मानव धर्म, आधुनिकतावाद।

Additional Files

Published

30-01-2020

How to Cite

1.
1 डा0 जितेन्द्र यादव. रवीन्द्र नाथ टैगोर के दर्शन में सार्वभौमवाद (Cosmopolitism). IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2025 Aug. 10];3(1):61-7. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/76

Issue

Section

Articles