महिला सशक्तिकरण एवं भारत सरकार की योजनाएं: एक अध्ययन

Authors

  • समीक्षा सिंह एवं डॉ0 अभिलाष सिंह यादव

Abstract

भारत एक ऐसा देश है जहां पर महिलाओं को सिर्फ स्त्री होने का दर्जा ही नहीं प्राप्त है बल्कि उन्हें देवी का दर्जा दिया गया है। भारत के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर बेटियों के जन्म को शुभ माना जाता है। इतिहास गवाह है कि एक समय ऐसा भी रहा है जब मातृसत्तात्मक सत्ता रही है और यह, यह दर्शाता है कि महिला कि समाज में स्थिति प्रथम रही। समय के परिवर्तन के साथ अत्याचार बढ़ते और घटते रहे और उनकी स्थिति में उतार-चढ़ाव देखने को मिले। अगर देश का दूसरा पहलू देखें जो कि अभी भी भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा गांव में बसता है। जिसमें शिक्षा और विकास बहुत पीछे है। आज भी ऐसी बहुत बेटियां हैं जो विद्यालय का मुंह भी नहीं देखी हैं और उनका परिवार यह जिम्मेदारी नहीं समझता है कि बेटियों को अशिक्षित रखकर वह अपराध कर रहे हैं। क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा जरिया है जो मनुष्य और जानवर में भेद बताता है। अभी भी गांव में खेतों में काम करने वाले मजदूर बेटियों को स्कूल भेजने के बजाए मजदूरी कराते हैं और उन्हें दूसरे के घर की अमानत समझकर कुछ वर्षों तक अपने पास रखते हैं जबतक उनका विवाह न हो जाए। उत्तर प्रदेश और बिहार में ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहाँ पर कम उम्र में लड़कियों का विवाह कर दिया जाता है और यही नहीं लड़कियों को बोझ समझते हुए उसे अधेड़ उम्र के पुरुषों के साथ बांट दिया जाता हैं। अर्थात् विवाह कर दिया जाता है।
महिलाओं की स्थिति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों पर दृष्टि डालने के उपरान्त यही प्रतीत होता है कि सुधार तो हुआ है। लेकिन हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। जहां पर असम्भव जैसा कुछ नहीं है और अगर इस युग में भी महिलाएं अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पुरुषों पर निर्भर हैं तो इससे शर्मनाक कुछ भी नहीं। इस शोध पत्र में स्वामी विवेकानन्द के महिलाओं से सम्बन्धित विचारों को संदर्भित करते हुए महिला स्थिति में सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है। स्वामी विवेकानन्द का मानना था कि ‘’जो राष्ट्र स्त्रियों का सम्मान नहीं करता वह न तो अब महान बन सकता है और न ही भविष्य में बन पाएगा।‘’ अतः में महिलाओं को उस स्थान पर लाना चाहिए जहां से वह अपनी समस्याओं का हल स्वयं ढूंढ सकें।
प्रमुख शब्द-महिला सशक्तिकरण, सामाजिक, पारिवारिक, सांस्कृतिक व्यवस्था, शैक्षणिक संस्थान, कानून व्यवस्था, सरकारी योजनाएं, कुप्रथा, संकीर्ण मानसिकता, अर्वाचीन स्थिति।

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Published

31-07-2025

How to Cite

1.
समीक्षा सिंह एवं डॉ0 अभिलाष सिंह यादव. महिला सशक्तिकरण एवं भारत सरकार की योजनाएं: एक अध्ययन. IJARMS [Internet]. 2025 Jul. 31 [cited 2025 Aug. 27];8(02):41-7. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/773

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