मुग़ल स्थापत्य कलाः ताजमहल से लाल किला

Authors

  • डा0 मुक्ता सिंह

Abstract

यह शोधपत्र मुग़ल कालीन स्थापत्य परंपरा के दो सबसे प्रतिष्ठित और प्रतीकात्मक स्मारकों ताजमहल और लाल किला के माध्यम से उस युग की वास्तुकला की सूक्ष्मता, तकनीकी दक्षता, सौंदर्य दृष्टि और सांस्कृतिक बहुलता का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है। ताजमहल को प्रेम एवं सौंदर्य की मूर्त अभिव्यक्ति माना जाता है, जबकि लाल किला राजनीतिक शक्ति एवं शाही वैभव का प्रतीक है। इस अध्ययन में उस्ताद अहमद लाहौरी जैसे महान वास्तुकार की रचनात्मक दृष्टि, निर्माण सामग्री, डिज़ाइन संरचना, प्रतीकात्मकता, तथा स्थापत्य नवाचार की चर्चा की गई है। साथ ही, इन दोनों स्मारकों की तुलनात्मक विवेचना करते हुए यह शोध मुग़ल स्थापत्य में शैलीगत विविधता, फारसी-भारतीय समन्वय तथा उस समय की सामाजिक-सांस्कृतिक भावना को उजागर करता है। यह अध्ययन ताजमहल और लाल किले को न केवल स्थापत्य दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी समझने का प्रयास करता है। ताजमहल की पवित्रता, प्रेम की प्रतिमूर्ति और लाल किले की शाही समृद्धि एवं प्रशासनिक शक्ति पर केन्द्रित विश्लेषण के माध्यम से मुग़ल स्थापत्य की अभिव्यंजकता और स्थापत्य नवाचारों का अन्वेषण किया गया है।
शब्दकुंजी-- मुग़ल स्थापत्य कला, ताजमहल, लाल किला, उस्ताद अहमद लाहौरी, हिन्दो‑फ़ारसी स्थापत्य सम्मिश्रण, पित्तरा ड्यूरा, चारबाग संरचना, संरक्षण चुनौतियाँ

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Published

31-07-2025

How to Cite

1.
डा0 मुक्ता सिंह. मुग़ल स्थापत्य कलाः ताजमहल से लाल किला. IJARMS [Internet]. 2025 Jul. 31 [cited 2025 Aug. 27];8(02):120-31. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/793

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