वैश्वीकरणः प्रभाव एवं परिणतियां
Abstract
आज वैश्वीकरण का रथचक्र अब बहुत आगे निकल चुका है। आज दुनिया की नियति का लेख वैश्वीकरण के विजय अभियानों एवं उसके द्वारा पराभूत शक्तियों द्वारा ही लिखा जा रहा है। वैश्वीकरण के पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ की परिस्थितियाँ आज भी विद्यमान है। वैसे हमे ध्यान देना होगा कि वैश्वीकरण के आरंभिक दिनो मे विरोध का स्वर दुनिया भर में अधिक प्रखर था। विभिन्न समाजवादी,साम्यवादी खेमों के अलावा राष्ट्रवादी आंतरिक वर्चस्ववादी सभी वैश्वीकरण के विरोध में थे। लेकिन विरोध जितना उग्रतर होता गया वैश्वीकरण की गति भी धीमी पड़ती गई। आज की विश्व व्यवस्था का एक स्थापित सत्य है वैश्वीकरण। लेकिन जो विजेता है,प्रभावी है,उपस्थित है और प्रगति कर रहा है,कोई जरूरी नहीं है कि सत्य उसी के पक्ष में हो। शाह-ए- वक़्त के विजयी रथ-चक्र में कई बार कीचड़ की तरह ’अंधेरा’ लिपटा होता है।
ज्ञमलूवतके. वैश्वीकरण मजदूरी, उत्तरोत्तर वर्धमान उत्पादकता, मुद्रास्फीति की निम्न दर, अधिकाधिक समृद्धि और निरंतर आर्थिक संवृद्धि।
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