मोक्षदायिनी - गंगा

Authors

  • 1डॉ0 आनन्द गोस्वामी

Abstract

धार्मिक अवधारणा है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है, और वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। पौराणिक काल से ही ब्रह्म-द्रव्य के रूप में प्रसिद्ध गंगा नदी के औषधीय गुणों का अध्ययन ’’नीरी’’ ने किया भी है। गंगा नदी अपनी शुद्धीकरण क्षमता में भी विख्यात है। गंगा में पायी जाने वाली शार्क के कारण भी विश्व के वैज्ञानिकों की इसमें रूचि है। इस मोक्ष दायिनी नदी को ॅभ्व् ने विश्व की सबसे प्रदूषित नदियों में माना था।
वर्तमान में गंगा की प्रदूषण मुक्ति हेतु अनेकानेक कार्यक्रम यथा-नमामि गंगे आदि चलाये जा रहे है, फलतः शीघ्र ही गंगा अपने निर्मल/स्वच्छ स्वरूप में होगी और इसके घाटों में हर-हर गंगे की स्वर लहरियाँ गूँजेगी।
Keywords-  राष्ट्रीय नदी, बैक्टीरियोफेज, शार्क, ब्वसपवितउ पारा, राष्ट्रीय जल मार्ग, मोक्ष, डालफिन, नमामि गंगे।

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Published

15-01-2019

How to Cite

1.
1डॉ0 आनन्द गोस्वामी. मोक्षदायिनी - गंगा. IJARMS [Internet]. 2019 Jan. 15 [cited 2024 Nov. 21];2(1):134-7. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/156

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