‘‘प्रेमचन्द की कहानियों में स्त्री जीवन का यथार्थ’’

Authors

  • डॉ0 शार्दूल विक्रम सिंह

Abstract

प्रेमचन्द जी को आदर्शान्मुख यथार्थवादी लेखक माना जाता है। उन्होंने अपनी कहानियों में भारतीय नारी-जीवन का सर्वांगीण यथार्थ प्रस्तुत किया है। स्त्री चाहे किसी भी समाज या वर्ग की हो, उसे अनेक सामाजिक कुरीतियों, रूढ़ियों, अन्धविश्वास तथा पुरातन परम्परा की बेड़ियों ने जकड़ रखा है। वह अपने सतीत्व तथा स्वाभिमान की रक्षा हेतु पुरुषसत्तात्मक समाज में सदैव संघर्ष करती हुई दिखाई पड़ती है। तत्कालीन समाज में प्रचलित बाल-विवाह, अनमेल विवाह, दहेज प्रथा, वेश्यावृत्ति आदि कुप्रथाओं के जाल में सदैव स्त्री का ही शारीरिक, मानसिक व आर्थिक शोषण हुआ है, जिसका यथार्थवादी चित्रण प्रेमचन्द की अधिकांश कहानियों में मिलता है।’’
मुख्य शब्दः- मुंशी प्रेमचन्द, आदर्शान्मुख यथार्थवाद, भारतीय नारी-जीवन, सामाजिक कुरीतियों, रूढ़ियों, अन्धविश्वास तथा पुरातन परम्परा की बेड़ियां।

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Published

30-01-2020

How to Cite

1.
डॉ0 शार्दूल विक्रम सिंह. ‘‘प्रेमचन्द की कहानियों में स्त्री जीवन का यथार्थ’’. IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2025 Apr. 29];3(1):124-8. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/226

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Articles