श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों में परिवेश चित्रण

Authors

  • डॉ0 शार्दूल विक्रम सिंह

Abstract

किसी भी कथा की पृष्ठभूमि को बनाने में परिवेश चित्रण का महत्वपूर्ण स्थान होता है। श्रीलाल शुक्ल जी ने भी अपने उपन्यासों की कथा को सशक्त एवं प्रभावशाली बनाने के लिए परिवेश चित्रण को विशेष महत्ता प्रदान की है। उन्होंने स्वातंत्र्योत्तर भारत में पनपती मूल्यहीनता, देश मे बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण, राजनीतिक स्थिति, शासनसत्ता, न्याय व्यवस्था तथा आम आदमी के जीवन की मूलभूत समस्या रोटी, कपड़ा, मकान आदि को परिवेश चित्रण के माध्यम से उद्घाटित किया है। परिवेश चित्रण से कथा के पात्रों की मानसिक दशा का भी पता चलता है।
ज्ञमलूवतके. श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास, परिवेश चित्रण, स्वातंत्र्योत्तर भारत, पनपती मूल्यहीनता, बढ़ता शहरीकरण, औद्योगीकरण, राजनीतिक स्थिति, शासनसत्ता, न्याय व्यवस्था तथा आम आदमी।

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Published

30-09-2020

How to Cite

1.
डॉ0 शार्दूल विक्रम सिंह. श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों में परिवेश चित्रण. IJARMS [Internet]. 2020 Sep. 30 [cited 2025 Mar. 12];3(2):91-8. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/227

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Articles