लॉकडाउन जैवविविधता के लिए वरदान

Authors

  • निखिल अग्निहोत्री

Abstract

कोविड-19 इक्कीसवीं सदी की सर्वाधिक प्रसारित एवं संक्रामक वैश्विक महामारी बनकर सामने आया है। चीन के हुवेई प्रांत के वुहान शहर से प्रसारित हुई यह व्याधि शीघ्र ही विश्व के अनेक देशों तक पहुँच गई, जिसके चलते भारत सरकार द्वारा 22 मार्च 2020 को पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन (तालाबंदी) का निर्णय लिया गया। कुछ ही दिनों में विश्व के 210 देशों एवं क्षेत्रों तक कोरोना का संक्रमण पहुँच गया। जहाँ एक ओर इस महामारी ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण के संदर्भ में इसका एक सकारात्मक पक्ष भी सामने आया। चूंकि लगभग समूचे विश्व में कोरोना की घातक स्थितियों के कारण सम्पूर्ण बन्दी रही, जिसके चलते प्रकृति एवं पर्यावरण में मानवीय हस्तक्षेप लगभग समाप्त हो गया। उद्योगों एवं कारखानों, रेल एवं विमानन सेवा, सार्वजनिक यातायात, व्यापारिक प्रतिष्ठान, सरकारी एवं गैर सरकारी प्रतिष्ठान बन्द होने के चलते जल, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी देखी गयी। भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के वायु गुणवत्ता सूचकांक में उल्लेखनीय सुधार हुआ। विश्व भर की नदियों का पानी स्वच्छ हुआ। जीव जंतुओं एवं पक्षियों की अनेक ऐसी प्रजातियां देखने को मिलीं जिन्हें लुप्तप्राय मान लिया गया था। प्रस्तुत शोधपत्र कोविड-19 एवं लॉकडाउन के पर्यावरण पर प्रभाव पर आधारित है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण हेतु सुझाव भी प्रस्तुत करता है।
तकनीकी शब्द - कोविड-19, लॉकडाउन, पर्यावरण आदि।

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Published

10-09-2021

How to Cite

1.
निखिल अग्निहोत्री. लॉकडाउन जैवविविधता के लिए वरदान. IJARMS [Internet]. 2021 Sep. 10 [cited 2025 Mar. 12];4(2):110-4. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/254

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