इस्लामी धार्मिक रूढ़िवाद और फतवे

Authors

  • मनीष पटेल

Abstract

वैश्वीकरण धार्मिक रूढ़िवाद किसी धर्म के व्यक्ति द्वारा उस धर्म के मूल सिद्धान्तों में विश्वास, उनके मौलिक सिद्धान्तों में आस्था या प्रतिबद्धता का वह रूप है जो धर्मांधता की सीमाओं को छूती है। जब किसी धर्म-विशेष के मतावलम्बियों द्वारा सारी दुनिया में अपने परम्परागत धर्म को अतिंम सत्य के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जाता है तो यह धार्मिक रूढ़िवाद कहलाता है।
Keywords-  इस्लामी धार्मिक रूढ़िवाद, परम्परागत धर्म, फतवे, आर्थिक विकास एवं आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।

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Published

31-01-2018

How to Cite

1.
मनीष पटेल. इस्लामी धार्मिक रूढ़िवाद और फतवे. IJARMS [Internet]. 2018 Jan. 31 [cited 2025 Jul. 4];1(1):212-6. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/332

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Articles