उत्तराखंड की लोक संस्कृति में रचे बसे हिंदू पर्वोत्सव-एक अध्ययन

Authors

  • डा० नूतन सिंह

Abstract

लोक पर्व मनुष्य के लिए मात्र मनोरंजन का साधन नहीं होते अपितु आपसी कलुष से मुक्ति का साधन भी होते हैं। भारत के उत्तर में पहाड़ी क्षेत्र में स्थित उत्तराखंड प्रदेश, जो पूर्णरूपेण वनस्पतियों व पहाड़ की गोंद में बसा है, वहां के अधिकाश त्यौहारों का सम्बन्ध प्रकृति से जुड़ा है। वहां के निवासी पेड़ों, जल स्रोतों का पूजन लगभग हर त्यौहार में करते हैं। समय के साथ यद्यपि पर्वों को मनाने के तौर-तरीके में परिवर्तन आया है। बदलते समय के साथ यहाँ कस्बाई या शहरी निवासी त्योहारों को सांकेतिक रूप से मनाने लगे हैं तथापि अधिसंख्य निवासी अभी भी लोक पर्वों से जुड़े हैं। कुछ पर्व अधिक प्रचलन में आये हैं जबकि कुछ का प्रचलन कम हुआ है। इस अध्ययन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों को जानना तथा उस क्षेत्र की सामाजिकता को समझना है। इस शोधपत्र के माध्यम से यह स्थापित करने प्रयास किया गया है कि विभिन्न संस्कृतियों में मनाये जाने वाले पर्व एवं उनके मनाने के तरीकों में कितना साम्य और प्रासंगिकता है।
मुख्य शब्द- कुमाऊँ, गढ़वाल, उत्तराखंड, त्यौहार, बग्वाल, फूलदेई, हरेला, डिकोरे भैल्लो, सतनज, ऐपन।

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Published

31-07-2022

How to Cite

1.
डा० नूतन सिंह. उत्तराखंड की लोक संस्कृति में रचे बसे हिंदू पर्वोत्सव-एक अध्ययन . IJARMS [Internet]. 2022 Jul. 31 [cited 2025 Jan. 30];5(2):17-22. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/366

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Articles