गोस्वामी तुलसीदास नारी प्रशंसक

Authors

  • डॉ0 अमिता रानी सिंह

Abstract

गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘रामचरित मानस’ भाव धर्मग्रन्थ ही नहीं है अपितु व्यावहारिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सामांजस्य स्थापित करने वाला एक विशिष्ट नीति-ग्रंथ भी है। मानस में श्रीराम के व्यक्तित्व के माध्यम से आत्म शान्ति एवं विश्व शान्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है। मनुस्मृति में कहा गया है कि जिस घर में नारी का सम्मान, मान, आदर होता है वहाँ देवताओं का वास होता है। प्रस्तुत आलेख में मैने मानस में निहित प्रशंसक नारी पात्रों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है।
शब्द संक्षेप- गोस्वामी तुलसीदास, रामचरित मानस, भाव, धर्मग्रन्थ एवं नारी प्रशंसक।

Additional Files

Published

15-05-2019

How to Cite

1.
डॉ0 अमिता रानी सिंह. गोस्वामी तुलसीदास नारी प्रशंसक. IJARMS [Internet]. 2019 May 15 [cited 2025 Apr. 29];2(2):227-32. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/371

Issue

Section

Articles