कामायनीः परंपरा और समकालीनता के साथ भविष्य से साक्षात्कार
Abstract
कामायनी एक कालजयी कृति है। इसमें कवि अतीत,वर्तमान और भविष्य तीनों से साक्षात्कार करता है। कामायनी की कथा वैदिक व पौराणिक आख्यान पर आधारित है। जयशंकर प्रसाद ने ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण और पुराणों से अनेक उदाहरण देकर मनु की ऐतिहासिकता को सिद्ध किया है। इतिहास की पृष्ठभूमि पर आधारित होकर भी कामायनी वैदिक आख्यान मात्र नहीं है वरन रूपक के माध्यम से इसमें श्री जयशंकर प्रसाद ने आधुनिक मानव के मनोविज्ञान को भी उद्घाटित किया है। साथ ही कामा़यनी अपने युग के श्रेष्ठ विचारों को भी अभिव्यक्त करती है जैसे मानववाद, गांधीवाद इत्यादि। इसके साथ ही कामायनीकार ने भविष्य जीवन की अनेक चुनौतियों को भी प्रस्तुत किया है। इसी कारण हम कामायनी को कालजयी कृति कहते हैं।
बीज शब्द-समकालीनता, मन्वंतर, समरसता, सर्वोदय, सत्याग्रह, साम्यवाद, मानववाद, आनंदवाद।
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