पर्यावरण प्रदूषण और भारत की 21वीं सदी में इसका प्रभाव

Authors

  • निखिल अग्निहोत्री , जितेंद्र मोहन

Abstract

पर्यावरण प्रदूषण दुनिया में वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। हालाँकि भारत जैसे विकासशील देशों में औद्योगीकरण और मोटर वाहन में तेजी से वृद्धि के कारण प्रदूषण (वायु पानी, मिट्टी, अपशिष्ट और शोर) की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। चरम जलवायु घटनाओं (उच्च वर्षा, अत्यधिक तापमान, बाढ़ और सूखा) के साथ बढ़ते शहरी क्षेत्र मानव स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप तीव्र गर्मी की लहरों ने तापमान के स्तर में वृद्धि की है जिससे शहरी निवासियों को थर्मल असुविधा और कई स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य (श्वसन रोग, हृदय रोग और अस्थमा, आदि) पर हानिकारक प्रभाव पैदा करता है, बल्कि पौधों और जानवरों को भी प्रभावित करता है। इस प्रकार सभी स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के प्रदूषण उनके कारण प्रभाव और उपचारात्मक कार्रवाई के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।
संकेतशब्द- 21वीं सदी में, पर्यावरण प्रदूषण, भारत, प्रभाव, विश्वव्यापी समस्या, ऊर्जा उपयोग।

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Published

31-07-2022

How to Cite

1.
निखिल अग्निहोत्री , जितेंद्र मोहन. पर्यावरण प्रदूषण और भारत की 21वीं सदी में इसका प्रभाव. IJARMS [Internet]. 2022 Jul. 31 [cited 2025 Jan. 30];5(2):88-95. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/424

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Articles