स्वच्छ भारत अभियानः एक यथार्थ अवलोकन
Abstract
भारत एक ऐसा देश है, जो विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए संघर्षरत है किन्तु यह दुर्भाग्य है कि उसकी आधी से अधिक आबादी के पास दैनिक निवृत्ति हेतु घर में शौचालय का कोई इंतजाम नहीं है। आज भी बहुत सारे लोगों के लिए यह स्वप्न ही है। यह स्थिति शहरों के साथ-साथ गाँवों में भी बनी हुई है। गाँवों में शौचालय की सुविधा की रफ्तार काफी धीमी है। वहाँ खुले में शौच जाना एक मजबूरी और गम्भीर समस्या बनी हुई है। सरकार द्वारा निरन्तर इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है किन्तु फिर भी यह समस्या आज भी विकराल रूप में मौजूद है। गाँवों में बहुत सारे लोग शौचालय होने के बावजूद भी उसका इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि उनका मानना है कि खुले में शौच जाना स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। इस कारण भी भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा स्वच्छ भारत अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। साथ ही एक नागरिक के तौर पर जिम्मेदारी और दायित्व बोध के अभाव में भी देश में गंदगी और अराजकता को बढ़ाने का काम किया है। लचर कानून व्यवस्था और गंदे स्थल इसमें सहायक होते हैं, जबकि विदेशों में बहुत सारे जगहों पर ऐसा करने पर जुर्माना लगता है जिसके चलते वहाँ स्वच्छता व्यवस्था बनी रहती है।
शब्द संक्षेप- गाँवों में शौचालय, स्वच्छ भारत अभियान, यथार्थ अवलोकन
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