कबीर का स्त्री विषयक चिन्तन एवं 21वीं सदी के उपन्यासों मंे स्त्री विमर्श (तुलनात्मक अध्ययन)
Abstract
मध्यकालीन सामंती व्यवस्था में साहित्य में अभिजात्यता विद्यमान थी। मध्यकाल से पूर्व स्त्री साहित्य के केंद्र में नहीं थी। कबीर मध्यकालीन हिंदी साहित्य में अपनी कविता में स्त्रियों संबंधी अंगूठे चित्रण के लिए जाने जाते हैं। कबीर की कविताएं उनके समकालीन महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। कबीर की कविता उनके समय में महिलाओं की सामाजिक भूमिकाओं और अपेक्षाओं को दर्शाती है।
बीच शब्द- कबीर, स्त्री विषयक चिन्तन, 21वीं सदी के उपन्यास, स्त्री विमर्श।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2024 ijarms.org

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
WWW.IJARMS.ORG