जनवादी कवि: कबीरदास

Authors

  • कसीरा जहाँ

Abstract

ज्ञानमार्गी शाखा के मूर्धन्य कवि कबीरदास महान व्यक्तित्व के अधिकारी थे। वह अपने समय के महान क्रांतिकारी, संत, दार्शनिक, समाजसुधारक, भक्त, कवि प्रगतिशील चिंताधारा वाले तथा आडंबरों और रुढियों के भंजक थे। निर्भीक तथा निडर प्रवृति वाले कबीर अपने तत्कालीन परिवेश के प्रति सदेव सजग रहकर जो भी विषमता देखा उसका कड़ा विरोध भी किया। उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदना मुखरित होती हैं। उनकी रचनाओं के जरिए जनसमान्य के दुख-दर्द, वेदना को वाणी मिला हैं। सच्चे अर्थों में कबीर एक जनवादी कवि हैं। वे समान्य जन के पक्षधर थे। प्रस्तुत शोध पत्र में कबीरदास के जनवादी कवि रूप पर प्रकाश डाला जाएगा।
बीज शब्द- कबीर, ज्ञानमार्गी, समाज सुधारक, कवि, जनवादी।

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Published

01-02-2024

How to Cite

1.
कसीरा जहाँ. जनवादी कवि: कबीरदास. IJARMS [Internet]. 2024 Feb. 1 [cited 2024 Nov. 21];7:79-82. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/576