कबीर का समाज चिन्तन
Abstract
समाज में जब किसी भी वास्तविक संत का प्रादुर्भाव होता है तब समाज में उस संत का प्रादुर्भाव किसी वरदान से कम नहीं होता। वे संत सभी जीवों के हित एवं कल्याण में ही अपने सम्पूर्ण जीवन को लगा देते हैं। वे हर जीव को ईश्वर का ही अंश मानते हैं। उन्हीं संतों में एक नाम है कबीरदास जी का।
बीज शब्द:- संत, कल्याण, कबीर, परोपकार, विनम्रता, समाज सुधारक।
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Published
01-02-2024
How to Cite
1.
डॉ0 अंकिता कनौजिया. कबीर का समाज चिन्तन. IJARMS [Internet]. 2024 Feb. 1 [cited 2024 Nov. 21];7:112-4. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/582
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