महिला एवं घरेलू हिंसा अघिनियम 2005
Abstract
भारतीय संदर्भ में महिलाओ की स्थिति का अवलोकन करे तो हम पाते है कि महिलाएं समाजिक अपवंचना का लम्बे समय तक शिकार रही है। महिलाओं के विकास के लिए आजादी के बाद से ही हमारा देश, राष्ट्रीय एंव अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक रूख अपनाया है। महिलाओं को सशक्त बनाने का भारतीय इतिहास सकारात्मक तथा समृद्व रहा है। प्रत्येक 8 मार्च को अर्न्तराष्ट्रीय स्तर महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाओं के लिए समानता तथा सशक्तिकरण आज वैश्विक मुदद्ा बनता जा रहा है।.समय-समय बहुतेरेे वैश्विक सम्मेलन, महिलाओ की स्थिति को सुधारने के लिए तथा उन्हे सशक्त बनाने के लिए हुए है। भारत सरकार द्वारा भी अनेको नीतियो क्रार्यक्रम, योजनाओ, और कानूनो के माध्यम से महिलाओ का सशक्तिकरण कर उन्हे समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही महिलाओ पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए घरेलू हिंसा अघिनियम 2005 को पारित कर कानून बनाया गया है जो महिलाओं की घरेलू परिदृश्य में किसी भी प्रताड.ना पर रोक लगाता हैं। इस अधिनियम में महिलाओ को वास्तविक प्रताड़ना या प्रताड़ित करने की धमकी देना, दोनो सम्मिलित हैं। इसमें दैहिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक, व आर्थिक प्रताडना भी सम्मिलित है। साथ ही महिला या उसके परिवार से दहेज की गैर कानूनी मांग को भी इस अधिनियम में निहित किया गया है। बावजूद इसके महिलाओ की स्थिति अभी भी दयनीय है। जरूरत है समाजिक सोच, महिलाओं के प्रति और अधिक सकारात्मक और मानवीय हो तथा महिलाओ से स़बधित, कानूनी एवं योजनागत प्रावधानो के क्रियान्वयन को सुदृढतम तरीके से सम्पादित किया जाए।
शब्द संक्षेप- सशक्तिकरण, प्रताडना, भावनात्मक, सहत्राब्दि विकास लक्ष्य, संवैधानिक, उग्रनारीवादी, जेन्डर, समकालीन विमर्श, मार्क्सवादी, यौन उत्पीड़न
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