भारतीय वित्तीय समावेशन नीतियों का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (2010-2021)
Abstract
वित्तीय समावेशन किसी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण साधन है। भारत में 2010 से 2021 के बीच अनेक नीतिगत पहलों जैसे जन धन योजना, डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, सूक्ष्म वित्त सेवाएँ एवं छोटे उद्यमों को ऋण सहायता कृ के माध्यम से वित्तीय समावेशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया। इस शोधपत्र में इन पहलों का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में व्याप्त असमानताओं में कमी, महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन, और समग्र आर्थिक विकास पर इनके प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, इस अवधि में उत्पन्न चुनौतियों, सफलताओं और आगामी सुधार के संभावित क्षेत्रों पर भी विस्तृत चर्चा की गई है। यह अध्ययन नीतिगत विश्लेषण, सरकारी रिपोर्टों, वैश्विक सूचकांकों और प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित है।
मुख्य शब्द- वित्तीय समावेशन, जन धन योजना, डिजिटल भुगतान, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, भारत, वित्तीय साक्षरता, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन।
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