रामायण एवं महाभारत काल में नारियों की सामाजिक स्थिति : तुलनात्मक अध्ययन
Abstract
प्रस्तुत लेख में रामायण और महाभारत काल में महिलाओं की सामाजिक स्थिति का विवेचन है। लेख में नारियों की महत्ता को स्पष्ट करने के लिए यथा स्थान रामायण और महाभारत काल से पूर्व के वृतान्तों को उदाहरण सहित स्पष्ट किया गया है । प्रस्तुत लेख में रामायण तथा महाभारत काल की नारियों की सामाजिक स्थिति का वर्णन है। नारियों की महत्ता को स्पष्ट करते हुए वैदिक काल की नारियों /पुत्रियों को हेय दृष्टि से देखा जाता था महाभारत काल में पुत्र को परिवार का भविष्य तथा पुत्री को कष्ट का कारक बताया गया है। हालांकि महाभारत काल में पुत्रियों का लक्ष्मी का वास भी बताया गया है। रामायण काल में कन्या को शुभ माना गया है। पुरातन काल में कन्या शिक्षा का प्रावधान जिसमें दो कोटियों का उल्लेख यथा स्थान वर्णित है- साहबोवधू, वृहमवादिनी। नारियां आचार्या शब्द से संबोधित की जाती थीं। मंदिरों तथा विवाह के समय नारियों को दहेज में दिये जाने के प्रमाण प्राप्त होते हैं। नारियों के शासन कार्यों में भूमिका के भी पुष्ट प्रमाण हैं। रामायण तथा महाभारत काल में नारियां पूर्ण योवनावस्था को प्राप्त करने के बाद ही पिता की स्वीकृति के साथ दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करती थी। विवाह पद्धतियों में चाहे प्रणय विवाह हो या गंधर्व विवाह। रामायण काल में दहेज प्रथा का विवरण दशरथ तथा राम के विवाह के समय प्राप्त होता है। लेख में यथा वर्णित है।
महाभारत विवाह पूर्व कुमारावस्था में भी प्रजनन के प्रमाण उपलब्ध जैसे कुन्ती और मत्स्यगंधा। महाभारत में अपहरण रीति से विवाह पद्धति का उल्लेख जिसमें सुभद्र तथा अम्बा के उदाहरण प्रमुखता से उपलब्ध हैं। महाभारत काल में स्वच्छंद विहारिणी महिलाओं के प्रमाणों का उल्लेख लेख में इनका उल्लेख किया गया हैं। लेख से स्पष्ट है कि रामायण तथा महाभारत काल में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी। कहीं कहीं नारियों के साथ पुत्रों के सापेक्ष भेदभाव किया गया। फिर भी महिलाआें ने विभिन्न भूमिकाओं का बखूबी निर्वहन किया महाभारत में पति-पत्नी प्रधान कुटुम्बों के साथ सती प्रथा का भी उल्लेख है। लेख को विभिन्न सन्दर्भो द्वारा प्रमाणित किया गया है जो लेख की मौलिकता का परिचायक है।
महत्वपूर्ण शब्दावली :- साहवोवधू, वृहमवादिनी, प्रणय विवाह, गन्धर्व विवाह, प्रभूत कन्याधन, अचिन्त्य हृदया, पति सम्मानिता, विकम्पित।
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