भारतीय सम्यता के कोषागार पुराणों में राष्ट्रीय भावना की प्रबलता - आध्यात्मिक एवं पौराणिक अध्ययन।

Authors

  • डा0 कान्ती शर्मा

Abstract

प्रस्तुत पुराणों में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रदर्शित करता है। लेख में भारत भूमि के नामांकन, सीमांकन के साथ कर्मदायिनी, फलप्रदायिनी जहां देवता भी जन्म लेने के लिए आतुर रहते हैं। पुराणों में वर्णित महनीय विशेषताएं राष्ट्रीय भावना की ऊष्मा का ंचार करती है। भारत में जन्म लेने वाले भारती तथा महेन्द्र, मलय, सहय, शुक्तिमान, ऋक्ष, विन्ध्य तथा पारियात्र सातों पर्वतों को कुल पर्वत कहकर सम्बोधित किया है। जिसका पुराणों में स्पष्ट वर्णन है। वृहम पंराण, वृहमा के द्वारा भारम का भौगोलिक वर्णन, पद्म पंराण ब्रहमाण्ड वर्णन, शिव पुराण की उमा संहिता, वृहन्नीय पुराण में भारत भूमि का आध्यात्मिक महत्व, वायु पुराण- भागवत् पुराण में राष्ट्रीय तत्व, मार्कण्डेय पुराण में भारत भूमि, अग्नि पुराण में जातियों, जनपदों का वर्णन , वाराह पुराण में नदियों तथा पर्वतों की नामावली, कूर्मि पुराण में भौगोलिक विस्तार, नदियों सरिताओं की पवित्रता को लेख में ससन्दर्भ विश्लेषित किया गया है। लेख में पुराणों में वर्णित वर्ण धर्म, आश्रम धर्म के साथ राजा का राज्य के प्रति कर्तव्य, कर निर्धारण, आपदा से बचाव, राष्ट्र समृद्धि के लिए राज के द्वारा कर्तव्य का अनुपालन, राज्याभिषेक की प्ररोचनात्मक विधि, आक्रमण से रक्षा के उपाय के साथ राजाको प्रवीण रणदीक्षित होना पुराणों में अनिवार्य सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है जिसे लेख में यथा विवेचित किया गया है।
भविष्य पुराण में कलियुगी म्लेच्छों से राज्य रक्षा, राष्ट्र विरोधी शक्तियों को परास्त करना, राज्य में गर्भवती महिलाओं, कन्याओं, राष्ट्र में अन्न व सम्पत्ति वृद्धि एवं संरक्षण, गायों की रक्षा तथा प्रजनन, विद्वानों तथा वैज्ञानिकों का संरक्षण, आदि के प्रति राजा को कर्तव्य बोधगम्य होना पुराणों में परम आवश्यक है। प्रस्तुत लेख में नदियों, सरिताओं तथा तीर्थस्थलों के आध्यात्मिक तथा राष्ट्रीय महत्व को प्रमुखता से वर्णित किया गया है। प्रस्तुत लेख को प्रमाणिकता तथा मौलिकता प्रदान करने हेतु पुराणों में वर्णित समृद्ध साहित्य को उदाहरण सहित प्रस्तु किया गया है।

 

 

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Published

15-01-2019

How to Cite

1.
डा0 कान्ती शर्मा. भारतीय सम्यता के कोषागार पुराणों में राष्ट्रीय भावना की प्रबलता - आध्यात्मिक एवं पौराणिक अध्ययन।. IJARMS [Internet]. 2019 Jan. 15 [cited 2024 Nov. 21];2(1):111-8. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/128

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Articles