औपनिवेशिक कुमाऊँ में ईसाई मिशनरी गतिविधियाँ और उसका प्रभाव

Authors

  • डा0 ज्योति साह

Abstract

कुमाऊँनी समाज विभिन्न संस्कृतियों और समाजों से बना है। प्राचीन जनजातीय समूह शौका, वनराजि, थारू, बोक्सा, गूजर और शिल्प से जुड़े शिल्पकार समूह यहाँ के प्राचीनतम निवासी हैं। यहाँ प्राचीन जनजातीय समूह, शिल्पकार और मध्यकाल में आयी विभिन्न सवर्ण जातियाँ, हिन्दू, बौद्ध, इस्लामी और प्राकृतिक धर्मों के पूजक एकसाथ निवास कर रहे थे। औपनिवेशिक शासन के दौरान यह समाज ईसाई धर्म और संस्कृति के सम्पर्क में आया। कुमाऊँ के ईसाई समाजपर बद्रीदत्त पांडे, शिवप्रसाद डबराल और ब्रिटिश गजेटियरों आदि और वर्तमान में आर.एस.टोलिया1 के द्वारा प्रकाश डाला जा चुका है। तथापि इस शोध पत्र द्वारा कुमाऊँ में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों के प्रसार तथा कुमाऊँनी समाज पर उसकी प्रतिक्रिया को विश्लेषित किया गया है, साथ ही मिशनरी गतिविधियों के प्रति औपनिवेशिक सरकार की नीति की व्याख्या भी की गयी है।
मुख्य शब्द-समाज, ईसाई मिशनरी, जैसुइट, कम्पनी की नीति,मिशनरी गतिविधियां,आर्य समाज

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Published

30-09-2020

How to Cite

1.
डा0 ज्योति साह. औपनिवेशिक कुमाऊँ में ईसाई मिशनरी गतिविधियाँ और उसका प्रभाव. IJARMS [Internet]. 2020 Sep. 30 [cited 2025 Mar. 12];2(2):113-20. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/135

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