जयशंकर प्रसाद के कृतित्व में नारी अस्मिता
Abstract
जयशंकर प्रसाद को हिंदी के वरिष्ठ लेखक साहित्यकार कहानीकार नाटककार के रूप में ख्याति प्राप्त है यह छायावाद के चार स्तंभ में से एक हैं। इन्होंने हिंदी साहित्य में छायावाद युग की स्थापना की छायावाद के माध्यम से इन्होंने खड़ी बोली के काव्य में माधुर्य रस के साथ साथ जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों का चित्रण भी बखूबी किया है । हिंदी साहित्य का शायद ही कोई ऐसा पाठक होगा जो जयशंकर प्रसाद को ना जानता हो। हिंदी साहित्य में कविता कहानी तथा नाटकों के माध्यम से नारी के सशक्त रूप के दर्शन कराएं हैं प्रसाद जी के साहित्य में हम आज की नारी को देख सकते हैं प्रसाद जी नारी स्वतंत्रता के बहुत बड़े समर्थक थे उनके साहित्य में स्त्री बंधन से मुक्त है वह परिवर्तन में विश्वास करती हैं और परिवर्तन के लिए विद्रोह तक करने को तैयार रहती है प्रसाद जी के नारी पात्र उन पुरुषों का मुंहतोड़ जवाब देती हैं जो नारी को हीन अबला और अक्षम समझते हैं ।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2019 IJARMS.ORG
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
*