मनोविज्ञान में मानवीय व्यवहारों का एक अध्ययन
Abstract
मनोविज्ञान का प्रत्येक मनुष्य के जीवन में मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पहलू को छुआ है। मनोविज्ञान का जन्म ही उस समय हुआ था जब मनुष्य पूर्ण रूप से विकसित भी नहीं हुआ था। आदि काल का मानव चाहे वस्त्रहीन, भाषाहीन, विचारहीन तथा सभ्यताहीन था, परन्तु स्वप्न अवश्य ही देखता था। इस स्वप्न ने अवश्य ही उस मानवीय विचार करने की प्रथम अवस्था को इस रूप में जागृत किया कि स्वप्न दृश्य क्या है ? युग बीतते चले गये परन्तु इस समस्या का हल नही निकला। सभ्यता की सीढ़ी पर चढ़ते हुए समय न्रे मानव को विचारशील बनाया तथा भाषा के माध्यम से उसने विचार प्रकट करना और उन्हें समझना सीख लिया।
युग परिवर्तन ने उस आदि काल के मानव को सभ्यता तथा संस्कृति के मानव का रूप प्रदान किया। जिसके परिणामस्वरूप स्वप्न की समस्या का विश्लेषण करने के लिए मानव प्रयत्नशील बन गया। इसी प्रयन्त के परिणामस्वरूप आज के मनोविज्ञान का वैज्ञानिक स्वरूप दृष्टिगोचर होता है।
मुख्य शब्द - वस्त्रहीन भाषाहीन, विचारहीन, सम्यताहीन मनोविज्ञान में मानवीय व्यवहार।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2019 IJARMS.ORG

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
*WWW.IJARMS.ORG