भारतीय समाज में नारी की दुर्गति का एक मनौवेज्ञानिक अध्ययन
Abstract
आज महिला को साथ लेकर चलने वाले राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जैसे महापुरूषों के देश में, पुरूषों, द्वारा महिलाओं पर हिंसा अब रोज की बात हो गयी है, जिसमें औरतों को पीटा जा रहा है, घूरा जा रहा है, उन पर फिकरे कसे जा रहे हैं, उन्हें जलाया जा रहा है, नंगा करके घुमाया जा रहा है, उनका यौन शोषण हो रहा है, उन पर तेजाब फैंका जा रहा है, सामूहिक बलात्कार किया जा रहा है, महिलाओं को यातनाऐं दी जा रही हैं और क्रूरतापूर्वक महिलाओं की हत्या कर दी जा रही है और ये दरिंदगी सहन करने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है । नैना साहनी के टुकड़े, भँवरी देवी कांण्ड, सोनाली मुखर्जी का तेजाब से जला चेहरा, अलीगढ उ0प्र0 में 29 दिसम्बर 2017 को एक ही परिवार के पाँच लोगों पर तेजाब से हमला, राजधानी दिल्ली में दामिनी को दी गयी यातनाऐं, राजस्थान में 11 वर्ष की बच्ची के 14 ऑपरेशन, ओहियों में सामूहिक दुष्कर्म, इससे पता चलता है कि आज अपराधियों की मानसिक विकृति किस स्तर की हो गई है। इन दरिंदों ने पूरे भारत वर्ष में 2 से 60 वर्ष तक की महिलाओं के साथ इतनी दरिंदगी की है कि आज भारत में एक भी हॉस्पीटल ऐसा नहीं बचा है, जिसमें पीड़ित महिलायें भर्ती न हों ।
मुख्य शब्दः- पीड़ा, कष्ट, थकान, दुख, क्लेश, दबाव, प्रताड़ना तथा परेशान करना।
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