धर्मो में तात्कालीन शिक्षा व्यवस्था का एक अध्ययन
Abstract
आज गाँधी के समस्त सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक चिन्तन पर धर्म की स्पष्ट छाप दिखाई पड़ती है। राजनीति में उन्होंने अपने तीन अमोघ अस्त्रों सत्याग्रह, अहिंसा तथा निष्क्रिय प्रतिरोध के द्वारा धर्म तथा राजनीति को जोड़ने का प्रयास किया। गाँधी की धर्म के प्रति अवधारणा तर्कसंगत है। वस्तुतः गाँधी चाहते थे कि धर्म का एक नैतिक उद्देश्य होना चाहिए और यह कर्मकाण्डों, अंधविश्वासों और जड़ता से रहित होना चाहिए। गाँधी को इन्हीं मान्यताओं के आधार पर सभी धर्मो को समान महत्व देते हुए भारत को एक धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया हैं डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने भी ऐसा ही कहा है।
मुख्य शब्द : नैतिकता, दृष्टिकोण, पारस्परिक, ग्रामोन्मुख, साम्प्रदायिक।
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