भारतीय मनीषा और वैदिक ज्ञान-परम्पराओं की प्रतिश्रुतियाँ
Abstract
वेद भारतीय संस्कृति के अनमोल धरोहर हैं और भारतीय ही क्यों, ये पूरी मानवीय संस्कृति के लिए अमूल्य निधि है। वेद उस काल के मानवीय सृजन है, जब मानव-सभ्यता अज्ञान के तिमिर को भेदकर ज्ञान के आलोक में अंगड़ाई ले रही थी। मानव की प्रभाती आँखों ने संसार की वैविध्यपूर्ण छवियों से पहली बार साक्षात्कार किया था। उसके कानों ने पहली बार सृष्टि का विविध अनुगूँजों को सुना था तथा उसे पहचानने के प्रयास किया था। इस प्रकार ज्ञान-ब्रह्माण्ड ;ज्ञदवूसमकहम ब्वेउवेद्ध में वेद मनुष्य की पहली सशक्त एवं जिज्ञासु उपस्थिति है।
शब्द पूंजीः- भारतीय मनीषा, वैदिक ज्ञान-परम्पराएं, प्रतिश्रुतियाँ, मानवीय संस्कृति।
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