बौद्ध युगीन राज्यों में दण्ड एवं न्याय व्यवस्था
Abstract
बौद्ध युगीन समस्त राज्यों में शासन व्यवस्था एक समान रहा। भिन्न-भिन्न राजतन्त्र-राज्यों में राजा की स्थिति भिन्न-भिन्न प्रकार की थी। यही कारण है कि जातक-साहित्य तथा अन्य बौद्ध-ग्रन्थों में इस विषय में विविध तथा परस्पर-विरोधी विचार उपलब्ध होते हैं। हम यहाँ इन विचारों को प्रदर्शित करने का यत्न करें। इस काल में न्याय व्यवस्था पूर्ण विकसित दिखाई देती है। न्याय निष्पक्ष एवं उचित होता था, किन्तु दण्ड बड़े भयंकर होते थे। प्राचीन भारत की राज्य व्यवस्था के सन्दर्भ में मनु, कौटिल्य, शुक्राचार्य और वृहस्पति के विचार प्रासंगित माने जाते हैं।
शब्द पूंजीः- बौद्ध युगीन राज्य, दण्ड, न्याय व्यवस्था, जातक-साहित्य।
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Published
30-01-2020
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1.
डॉ0 राजेश चन्द्र मिश्र. बौद्ध युगीन राज्यों में दण्ड एवं न्याय व्यवस्था. IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2025 Mar. 12];3(1):168-71. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/276
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