केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में लोकचेतना

Authors

  • डॉ0 परीक्षित सिंह

Abstract

केदारनाथ के काव्य में लोक संशक्ति ग्राम्य, प्रकृति, किसानी जीवन आदि कई स्तरों पर पायी जाती है। उनकी कविताओं में प्रकृति एवं ग्राम्य जीवन के माध्यम से लोक चेतना की मुखर अभिव्यक्ति हुई है। केदारनाथ का काव्य सामाजिक-राजनैतिक जन-जागृत का काव्य है। आजादी के बाद भी व्याप्त सामाजिक विषमताओं का चित्रण उनके काव्य का मुख्य विषय रहा है। उन्होंने पुरानी जीर्ण-शीर्ण मान्यताओं, कर्मकाण्ड, आडम्बर आदि पर तीव्र कुठाराघात किया।
बीज-शब्दः- संवेदना, सोंधी, चेतना, लोक, संघर्ष, जनवादी, बुर्जुआ, सामान्यजन, लोक-जीवन।

 

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Published

30-01-2020

How to Cite

1.
डॉ0 परीक्षित सिंह. केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में लोकचेतना . IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2025 Mar. 12];3(1):206-10. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/399

Issue

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Articles