रैंक्ड-चॉइस वोटिंग बनाम पारंपरिक प्रणालियाँ एक तुलनात्मक समीक्षा

Authors

  • डा0 आभा चौबे

Abstract

रैंक्ड-चॉइस वोटिंग (त्ब्ट) और पारंपरिक चुनावी प्रणालियों की तुलना करते हुए, यह शोध पत्र चुनावी प्रक्रियाओं के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। त्ब्ट में मतदाता उम्मीदवारों को उनकी पसंद के अनुसार रैंक करते हैं, जिससे अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वात्मक परिणाम सुनिश्चित होते हैं। इसके विपरीत, पारंपरिक प्रणालियों में एक उम्मीदवार को सीधे चुना जाता है, जो कभी-कभी बहुमत के बिना भी जीत सकता है। इस अध्ययन में इन दोनों प्रणालियों के बीच की संरचनात्मक विशेषताओं, मतदाता व्यवहार, और चुनावी परिणामों की गहन तुलना की गई है, साथ ही राजनीतिक स्थिरता पर उनके प्रभावों का भी विश्लेषण किया गया है। इस शोध से नीति निर्माताओं को अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वात्मक लोकतांत्रिक प्रणाली की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी, जिससे चुनावी प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाया जा सकता है।
संकेत शब्द- रैंक्ड-चॉइस वोटिंग, पारंपरिक चुनावी प्रणालियाँ, मतदाता व्यवहार, चुनावी परिणाम, और राजनीतिक स्थिरता।

Additional Files

Published

31-01-2022

How to Cite

1.
डा0 आभा चौबे. रैंक्ड-चॉइस वोटिंग बनाम पारंपरिक प्रणालियाँ एक तुलनात्मक समीक्षा. IJARMS [Internet]. 2022 Jan. 31 [cited 2025 Apr. 29];5(1):232-41. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/624

Issue

Section

Articles

Most read articles by the same author(s)