उदारीकरण का दर्शन और हम

Authors

  • डा0 सरनपाल सिंह

Abstract

आज हम लोग उदारीकरण, वैश्वीकरण तथा निजीकरण के युग में जी रहे है। परन्तु यह युग कोई एकाएक नही आया या केवल यह किसी एक देश में नही आया, बल्कि यह एक लहर की तरह आया है। जिसमें एक के बाद एक देश, एक महाद्वीप के बाद दूसरा तथा पृथ्वी के कोने के बाद एक और कोना लगातार डूबता जा रहा है। यह युग एक सर्वव्यापी युग है और यह भी सत्य है कि इसकी उपेक्षा करना, इससे अलग थलग रहकर जीना और इसके विश्वव्यापी प्रभाव को नकारना हकीकत से आखें मूँदने जैसा है और इसमें स्वंय की अंतहीन दौड़ में पिछड जाने का खतरा भी है। यह एक युग की दूसरे युग के साथ दुरभि सन्धि है जिसके हम सभी चाहे अनचाहे, इच्छावश व अनिच्छावश एक आवश्यक अंग है।
स्ांकेत शब्दः उदारीकरण, वैश्वीकरण तथा निजीकरण व विश्वव्यापी प्रभाव।

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Published

30-01-2020

How to Cite

1.
डा0 सरनपाल सिंह. उदारीकरण का दर्शन और हम . IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2025 Jul. 4];3(1):68-74. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/78

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