उदारीकरण, वैश्वीकरण की चुनौतियां
Abstract
एक तरफ 50 के दशक में विश्व के सभी राष्ट्रों में विकास के प्रति सर्वव्यापी जागरूकता आयी तथा विकासशील देशों ने सोवियत रूस अथवा अमेरिका के माडल पर चलकर विकास करनें का प्रयास किया। यह बात अलग है कि अपने ऐतिहासिक बाहयताओं के कारण विषम आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण तथा मानवीय संसाधनों तथा तकनीक के विकास में अक्षमता के कारण विकासशील देशों की विकसित देशों में असमानता बढ़ती चली गयी। इन देशों में सम्पन्नता बडी है, सांधनों का उपयोग बढ़ा है उत्पादन तथा अतिरेक बढ़ा है, उधोगो का तकनीकी ढांचा भी बदला है, परन्तु उन्होनें मुख्यतः विकसित देशों के प्रतिमानों की नकल की है इसलिए उनका विकास विकसित देशों की तुलना में कम रहा है तथा तकनीकी विकास भी द्वितीय श्रेणी का रहा है बावजूद इसके लिए विकासशील देशों को भारी कीमतें चुकानी पडी है।
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