शिवप्रसाद सिंह के कहानी-साहित्य में चरित्र प्रधान कहानियों का सृजन
Abstract
समकालीन कथाकारों ने समाजवाद की स्थापना में बाधक तत्वों के प्रति गुस्सा, आक्रोश जाहिर किया है लेकिन ईमानदारी, जनसेवी, संघर्षरत चरित्रों को अपनी पूरी हार्दिक सहानुभूति और समर्थन भी दिया है। आज देश के सामने सबसे बड़ी गम्भीर समस्या मानवीय मूल्यों का निरंतर ह््रास होते जाना है। “हमारी मान्यता है कि हिन्दुस्तानी दुनिया के किसी भी कौम के लोगों से न तो कम समझदार हैं और न कम मेहनती हैं।
Keyword- सिंह, कहानी-साहित्य, चरित्र प्रधान कहानियां, सृजन, समाजवाद।
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Published
31-01-2021
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1.
डॉ0 वाचस्पति. शिवप्रसाद सिंह के कहानी-साहित्य में चरित्र प्रधान कहानियों का सृजन. IJARMS [Internet]. 2021 Jan. 31 [cited 2025 Mar. 12];4(1):116-23. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/248
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